कैप्टेन का जन्म सन् 1997 में उत्तर प्रदेश जिले के बरडीहा दलपत, देवरिया में हुआ। पिता रवि प्रताप सिंह (सूबेदार फौज से सेवा निवृत्त), माता मंजू सिंह तथा पत्नी का नाम स्मृति सिंह है। कैप्टन अंशुमान सिंह पंजाब रेजिमेंट की 26वीं बटालियन में रेजिमेंटल मेडिकल ऑफिसर (RMO) थे। भारतीय थलसेना में सेवा वर्ष 19 मार्च 2020 से 19 जुलाई 2024 तक रहा।
शिक्षा
उन्होंने हिमाचल प्रदेश के चौल मिलिट्री स्कूल में शिक्षा प्राप्त की और राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल चौल में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। वे उच्च शिक्षा के लिए पुणे में सशस्त्र बल चिकित्सा महाविद्यालय (।थ्डब्) में शामिल हो गए, जहाँ उन्होंने सैन्य चिकित्सा, युद्ध में लगी चोटों के बारे में कठोर प्रशिक्षण प्राप्त किया। एमबीबीएस पूरी होने के बाद आगरा मे कोविड 19 के कारण एक साल की इंटर्नशिप को बढ़ा दिया गया। वे एक चिकित्सा पेशेवर के रूप में काम के प्रति समर्पित रहे।
19 जुलाई 2023 के दिन शार्ट सर्किट के कारण जब सियाचिन ग्लेशियर में तैनात भारतीय सेना के टेंट में आग लग गयी थी। आग की चपेट में कई टेंट आ गए थे, असाधारण साहस का परिचय देते हुए फंसे हुए साथियों को बचाया और जलते हुए शेल्टर से महत्वपूर्ण दवाइयाँ निकालने का प्रयास किया। दुखद रूप से, इस प्रक्रिया में वे गंभीर रूप से जल गए और कर्तव्य निभाते हुए कैप्टन अंशुमान सिंह 26 वर्ष की उम्र में शहीद हो गए थे। उनकी असाधारण बहादुरी और दृढ़ संकल्प के लिए मरणोपरांत भारत के दूसरे सबसे बड़े शांतिकालीन वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था।
कैप्टन अंशुमान सिंह की शादी 10 फरवरी, 2023 को पेशे से इंजीनियर स्मृति सिंह से हुई थी। उनकी मृत्यु उनके परिवार के लिए एक बड़ा झटका थी, लेकिन वे उनकी वीरतापूर्ण विरासत से सांत्वना महसूस करते हैं।
5 जुलाई 2024 को नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कैप्टन अंशुमान सिंह की ओर से कीर्ति चक्र (मरणोपरांत) पुरस्कार पत्नी स्मृति सिंह और माता मंजू सिंह ने प्राप्त किया कीर्ति चक्र, युद्ध क्षेत्र से दूर वीरता, साहसी कार्य या आत्म-बलिदान के लिए दिया जाने वाला भारतीय सैन्य पुरस्कार।